Alexa Seleno
@alexaseleno
July 22, 2025

7 सितंबर 2025 का चंद्रग्रहण

7 सितंबर 2025 का चंद्रग्रहण: विज्ञान, संस्कृति और अध्यात्म का संगम

चंद्रग्रहण एक ऐसी खगोलीय घटना है जो हर बार पृथ्वीवासियों को रोमांचित कर देती है। 7 सितंबर 2025 को होने वाला चंद्रग्रहण इस वर्ष की सबसे चर्चित खगोलीय घटनाओं में से एक होगा। यह आंशिक चंद्रग्रहण भारत सहित विश्व के कई हिस्सों में दिखाई देगा।

इस लेख में हम इस ग्रहण के खगोलीय कारण, वैज्ञानिक महत्व, धार्मिक विश्वास, ज्योतिषीय प्रभाव, और लाल चंद्रमा की रहस्यपूर्ण छवि (Blood Moon) पर बात करेंगे।


🌕 चंद्रग्रहण क्या होता है?

जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, तो पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है। इसे ही चंद्रग्रहण कहते हैं। यह पूर्ण, आंशिक या उपच्छाया (penumbral) प्रकार का हो सकता है, जो इस बात पर निर्भर करता है कि चंद्रमा कितनी मात्रा में पृथ्वी की छाया से ढका हुआ है।


🔬 वैज्ञानिक दृष्टिकोण: चंद्रग्रहण कैसे और क्यों होता है?

पृथ्वी की छाया दो हिस्सों में बंटी होती है:

  1. उम्ब्रा (Umbra): यह पृथ्वी की पूर्ण छाया होती है, जहां सूर्य का प्रकाश पूरी तरह रुक जाता है।

  2. पेनम्ब्रा (Penumbra): यह अर्ध-छाया होती है, जिसमें सूर्य का कुछ हिस्सा छाया से निकलता है।

जब चंद्रमा पूरी तरह उम्ब्रा से गुजरता है, तो पूर्ण चंद्रग्रहण होता है। जब चंद्रमा का कुछ हिस्सा इस उम्ब्रा में आता है, तब आंशिक चंद्रग्रहण होता है।

📅 7 सितंबर 2025 का चंद्रग्रहण:

यह आंशिक चंद्रग्रहण होगा। इसमें चंद्रमा का एक भाग पृथ्वी की गहरी छाया (Umbra) में प्रवेश करेगा, जिससे वह आंशिक रूप से ढक जाएगा।


🔴 चंद्रमा क्यों हो जाता है लाल? – ‘ब्लड मून’ का रहस्य

पूर्ण चंद्रग्रहण के समय एक अद्भुत दृश्य देखने को मिलता है – चंद्रमा गहरा तांबई या लाल रंग का दिखता है, जिसे हम “Blood Moon” कहते हैं। इसका वैज्ञानिक कारण है:

  • जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया में पूरी तरह प्रवेश करता है, तब सीधे सूर्य का प्रकाश उस तक नहीं पहुंच पाता।

  • लेकिन पृथ्वी के वायुमंडल से होकर सूर्य की कुछ लाल-नारंगी रोशनी (longer wavelength light) बंटकर चंद्रमा तक पहुँचती है।

  • यही बंटी हुई लाल रोशनी चंद्रमा को ‘तांबई’ या ‘गुलाबी’ रंग में रंग देती है।

यह वही प्रक्रिया है जिससे सूर्योदय और सूर्यास्त के समय आकाश लालिमा लिए होता है।

हालांकि 7 सितंबर 2025 को पूर्ण ग्रहण नहीं होगा, इसलिए चंद्रमा हल्के तांबई रंग का दिखाई दे सकता है, विशेषकर ग्रहण के मध्य बिंदु पर।


📸 कैसे देखें इस ग्रहण को?

  • चंद्रग्रहण को बिना किसी विशेष सुरक्षा के आंखों से देखा जा सकता है।

  • यदि आपके पास टेलीस्कोप या कैमरा है, तो आप इस पल को और भी सुंदरता से कैद कर सकते हैं।

  • खुले स्थान, छत या पार्क से देखें जहां रोशनी की प्रदूषण (light pollution) कम हो।


🕉️ धार्मिक मान्यताएं और परंपराएं

भारतीय संस्कृति में चंद्रग्रहण एक गूढ़ और पवित्र समय माना गया है। कई मान्यताओं के अनुसार:

  • ग्रहण के दौरान भोजन निषेध होता है।

  • सूतक काल ग्रहण से 9 घंटे पहले शुरू होता है, जिसमें पूजा-पाठ वर्जित होती है।

  • ग्रहण के बाद स्नान, शुद्धिकरण और दान का विशेष महत्व होता है।


🔯 ज्योतिषीय प्रभाव

7 सितंबर 2025 का यह चंद्रग्रहण कुंभ राशि में घटित होगा, जिससे विभिन्न राशियों पर यह प्रभाव डालेगा। ज्योतिषाचार्य बताते हैं:

  • कुंभ, सिंह: मानसिक तनाव व निर्णय में भ्रम।

  • तुला, मिथुन: नए विचारों और संभावनाओं की शुरुआत।

  • वृषभ, वृश्चिक: आर्थिक व पारिवारिक निर्णयों में सतर्कता आवश्यक।


🧘‍♂️ ग्रहण काल: आत्मचिंतन का समय

ग्रहण केवल खगोलीय घटना नहीं है, बल्कि यह आत्मनिरीक्षण और साधना का अवसर भी है। इस दौरान:

  • मंत्र जाप करें,

  • मौन साधना करें,

  • ध्यान और योग से मन की स्थिरता पाएं।


🔚 निष्कर्ष

7 सितंबर 2025 का चंद्रग्रहण हमें न सिर्फ एक खगोलीय चमत्कार का अनुभव देगा, बल्कि यह आत्मचिंतन, विज्ञान और संस्कृति के बीच का एक सुंदर संतुलन भी दर्शाएगा।

इस रात आकाश की ओर ज़रूर देखें — हो सकता है आप चंद्रमा की लालिमा में ब्रह्मांड की एक झलक पा जाएं।

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